गुरूजी म्हारों अन्र्तनाद, हमने आपों आशीर्वाद…के गगनभेदी जयघोषों से गुंजा बाड़मेर
खरतरगच्छ की राजधानी को मिला आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी साथ

बाड़मेर नगर प्रवेश की शोभायात्रा में उमड़ा आस्था का जन सैलाब
बाड़मेर।श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास व्यवस्था कमेटी के तत्वावधान में रविवार को आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा., बहिन म.सा. साध्वी डॉ. विधुत्प्रभा श्री म.सा. व साधु-साध्वीवृंद का चातुर्मासिक नगर प्रवेश भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। “गुरूजी म्हारों अन्र्तनाद…” के जयघोष और भक्तों की भावभक्ति से वातावरण गुंजायमान हो उठा।
कल्याणपुरा पाश्र्वनाथ जिनालय से प्रारंभ शोभायात्रा शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई कोटडिया नाहटा ग्राउंड स्थित सुधर्मा प्रवचन वाटिका पहुंची, जहां हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में मंगल प्रवेश सम्पन्न हुआ। शोभायात्रा में पुरुष दुपट्टा, साफा व सफेद वस्त्रों में, महिलाएं कलश लिए संस्थागत परिधान में शोभा बढ़ा रही थीं। घोड़े, बैंड, ढोल, बैजवाला, झूमते युवा, नन्हे-मुन्ने जैन ध्वज लिए अनुशासन से चल रहे थे। जगह-जगह पर तोरण द्वार, पुष्पवर्षा व गहुल्ली से स्वागत हुआ।
पूर्व विधायक मेवाराम जैन, संघ अध्यक्ष अमृतलाल जैन सहित अनेक गणमान्यजनों ने दीप प्रज्वलन कर धर्मसभा का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण अशोक धारीवाल, केवलचंद छाजेड़, सुनिल पारख ने दिया। संगीतकार गौरव मालू ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। शोभायात्रा में अचलगच्छ साध्वी भावगुणा श्री म.सा. आदि ठाणा ने भी निश्रा दी।
धर्मसभा में आचार्यश्री ने कहा कि चातुर्मास आत्मजागृति और आत्मविकास का पर्व है। नकारात्मक सोच को छोड़, गुणों को देखने और सुधारने की प्रवृत्ति विकसित करनी चाहिए – यही धर्म की शक्ति है। बहिन म.सा. ने धर्म को जीवन में श्रेष्ठ कर्मों की खेती बताया। मुनि मयूखप्रभसागर म.सा. ने चातुर्मास को आत्मपरिवर्तन का अवसर बताया।
इस अवसर पर आचार्यश्री द्वारा रचित दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। विभिन्न मंडलों व राज्यों से पधारे हजारों श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा में भाग लेकर नगर प्रवेश को ऐतिहासिक बना दिया। अंत में अध्यक्ष अशोक धारीवाल ने सभी आगंतुकों व सहयोगियों का आभार जताया। संघ द्वारा स्वामी वात्सल्य का आयोजन भी हुआ।