दुनिया में दो ही तत्त्व जीव और अजीव : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
अहमदाबाद की उपनगरीय यात्रा में सप्तदिवसीय प्रवास हेतु शाहीबाग में मंगल प्रवेश

शाहीबाग में पधारे तेरापंथ के सरताज आचार्यश्री महाश्रमण
-आसमान से मानसूनी वर्षा तो धरती से महातपस्वी की मंगल आशीषवृष्टि
-अनेक चारित्रात्माओं को मिला शांतिदूत के दर्शन का लाभ
-अहमदाबादवासियों ने दी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति*
27.06.2025, शुक्रवार, शाहीबाग, अहमदाबाद।
अहमदाबाद के कोबा क्षेत्र में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में वर्ष 2025 के चतुर्मास के लिए महामंगल प्रवेश से पूर्व अहमदाबाद नगर को अपनी चरणरज से पावन बनाने के लिए 21 जून से नगर में प्रविष्ट हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ अहमदाबाद के विभिन्न उपनगरों की यात्रा करते हुए, श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि करते हुए शुक्रवार को अहमदाबाद शहर के शाहीबाग में स्थित तेरापंथ भवन में पधारे। यहां आचार्यश्री का सातदिवसीय प्रवास निर्धारित है। अपने आराध्य को अपने नगर में पाकर हर्षित अमदाबादवासियों का हृदय मानों उसी तरह भक्ति से भरा हुआ प्रतीत हो रहा है, जिस प्रकार वर्षा के आगमन से सूखे खेतों मंे हरियाली छा जाती है।
शुक्रवार को प्रातः की मंगल बेला में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अमराईवाड़ी-ओढ़व से गतिमान हुए। भारत में पूरी तरह सक्रिय हो चुके मानसून का प्रभाव अहमदाबाद में दिखाई दे रहा था। आसमान से मेघ तो धरती पर गतिमान अध्यात्म जगत के महामेघ श्रद्धालु जनता पर अपने दोनों करकमलों से आशीषवृष्टि कर रहे थे। आज से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के शुभारम्भ का प्रसंग भी जुड़ा हुआ था। इस कारण अहमदाबाद ही नहीं देश ही अनेक देशों में भक्तों द्वारा भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। एक ओर भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा तो दूसरी ओर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा गतिमान थी। श्रद्धालुओं की विराट उपस्थिति से पूरा वातावरण महाश्रमणमय बना हुआ था। मार्ग में अनेक साधु-साध्वियों ने अपने आराध्य के दर्शन का लाभ प्राप्त किया। लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री सप्तदिवसीय प्रवास हेतु शाहीबाग स्थित तेरापंथ भवन में पधारे।
युगप्रधान आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालु जनता को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि इस दुनिया में दो चीजें हैं- एक जीव और दूसरी है अजीव। जीव और अजीव के सिवाय इस दुनिया में कुछ भी नहीं है। कहीं जीव और अजीव का मिश्रित रूप में देख सकते हैं। जैसे मनुष्य को ही देखें तो मनुष्य का शरीर अजीव और आत्मा जीव है, चैतन्य है। मनुष्य अपने जीवन में अजीवों का कितना उपयोग करता है। आदमी रोटी खाता है तो पुद्गल काम में आता है। प्रमार्जनी, पट्ट, कपड़े आदि पुद्गल का सहयोग प्रत्यक्ष है। मानव का प्राणी जगत के साथ सहयोगात्मक संबंध भी है। कहा भी गया है कि ‘परस्परोपग्रहो जीवनाम्’। जितने जीव होते हैं, वे परस्पर सहयोग देते हैं। यह पारस्परिकता, एक-दूसरे का सहयोग करते हैं। साधु कहीं जाते हैं तो कोई उनका स्थान देता है, कोई आहार-पानी में सहयोग देता है। कोई बीमार हो गया तो डॉक्टर आ गए तो इस प्रकार जीव का सहयोग जीव ने कर दिया। साधु व्याख्यान आदि के द्वारा गृहस्थों को आध्यात्मिक सहयोग देते हैं। माता-पिता अपने बच्चों को पालते हैं तो माता-पिता के वृद्ध होने पर पुत्र अपने माता-पिता की सेवा आदि करता है। इस प्रकार सभी का जीवन परस्पर सहयोग से चलता है। एक सीमा तक सहायता का प्रत्याख्यान हो सकता है, लेकिन एकदम निरपेक्ष हो जाना दुनिया में मुश्किल होता है। स्वावलम्बिता अच्छी बात है, लेकिन आवश्यकता के अनुसार सहयोग तो लेना ही होता है। हां! यह अच्छी बात है कि आदमी जितना संभव हो सके, दूसरों की सेवा करने, दूसरों को ज्यादा सहयोग देने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने आगे कहा कि चतुर्मास का समय निकट आ रहा है। आज शाहीबाग में आना हुआ है। चतुर्मास त्याग, तपस्या का एक समय है। इस बार आचार्यश्री भिक्षु का आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी आ रहा है। इस बार उनका जन्म त्रिशताब्दी वर्ष है। जितना हो सके, व्रत, उपवास तपस्या आदि की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। पदार्थों का त्याग का क्रम भी बने, अनुकूलतानुसार करने का प्रयास हो। जितना संभव हो संवर-निर्जरा का लाभ उठाने का प्रयास हो सकता है। कई साधु-साध्वियां यहां चिकित्सा के लिए भी आए हुए हैं। कितनों से मिलना भी हो गया। साधु, साध्वियों व समणियों का समूह उपस्थित हो गए हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए लोकोपकार करने का प्रयास हो।
आचार्यश्री के मंगल प्रेरणा पाथेय के उपरान्त साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने समुपस्थित जनता को उद्बोधित किया। तेरापंथी सभा-अहमदाबाद के अध्यक्ष श्री अर्जुनलाल बाफना, तेरापंथ समाज सेवा ट्रस्टी अध्यक्ष श्री सज्जन सिंघवी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। भिक्षु भजन मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मण्डल ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। अहमदाबाद चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति की ओर से श्री नानालाल कोठारी व सागर सदन की ओर से श्री अरविंद दूगड़ ने अपनी अभिव्यक्ति दी। अहमदाबाद ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने ज्ञानार्थियों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
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