आदमी के व्यवहार व कर्म में भी रहे धर्म : महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण
ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने दी प्रस्तुति, टीपीएफ, अहमदाबाद ने भिक्षु अष्टकम् को दी प्रस्तुति

-मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में जुटे सैकड़ों ज्ञानार्थी,आचार्यश्री से स्वीकारी मंत्र दीक्षा
-साध्वीप्रमुखाजी ने श्रद्धालु जनता को किया अभिप्रेरित
-अभातेयुप ने युवादृष्टि के विशेषांक को आचार्यश्री के समक्ष किया लोकार्पित
13.07.2025, रविवार, कोबा, गांधीनगर
जन-जन के मानस में आध्यात्मिकता की ज्योति जगाते, जन-जन को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की प्रेरणा देते हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अखण्ड परिव्राजक, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ वर्तमान समय में अहमदाबाद के वष 2025 के चतुर्मास के लिए प्रेक्षा विश्व भारती में विराजमान हो चुके हैं। चार महीने तक अपने गुरु की सेवा, उपासना आदि का लाभ प्राप्त करने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी काफी संख्या में श्रद्धालु चतुर्मास स्थल पर पहुंचे हुए हैं और कितने-कितने लोग अभी पहुंच भी रहे हैं। साथ-साथ तेरापंथ धर्मसंघ की संस्थाओं व संगठनों के राष्ट्रीय अधिवेशन, समारोह आदि के आयोजन भी प्रारम्भ हो गए हैं। इससे प्रेक्षा विश्व भारती मानों जनाकीर्ण नजर आ रही है। अहमदाबाद चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति आने वाले श्रद्धालुओं के आवास, भोजन, यातायात आदि की व्यवस्थाओं में पूरी तरह संलग्न है। अहमदाबादवासी भी अपने आराध्य के चतुर्मास का पूर्ण लाभ उठाने में जुटे हैं।
रविवार का दिन होने से अहमदाबादवासी श्रद्धालुओं भी बड़ी संख्या में अपने आराध्य की मंगल सन्निधि में पहुंचे थे। ‘वीर भिक्षु समवसरण’ में उपस्थित जनता को तेरापंथाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘आचारांग भाष्यम’ के माध्यम पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि धर्म एक ऐसा तत्त्व है, जो चित्त समाधि देने वाला और आत्मा की शुद्धि करने वाला भी है। धर्म ऐसा पाथेय है, जो अपना प्रभाव आगे भी रख सकता है। एक आदमी को घना जंगल पारकर कहीं जाना है और व्यक्ति के पास न कोई भोजन-पानी की व्यवस्था ली है और न ही मार्ग मंे कोई ऐसी व्यवस्था दिखाई देती है। ऐसी स्थिति में आदमी बहुत कठिनाई को झेल सकेगा और तो क्या कभी प्राणांत भी हो सकती है। एक आदमी अपने साथ भोजन-पानी की व्यवस्था लेकर चलता है तो वह भोजन-पानी कर उस भयानक अरण्य को पार भी कर सकता है।
यदि कोई आदमी अपने जीवन में धर्म करता है, संयम की साधना करता है, अहिंसा की आराधना करता है तो वह अपने एक लिए पाथेय तैयार कर लेता है। वह यदि इस जीवन के बाद किसी योनि में जाता है, वह सुख में रह सकता है। जो आदमी अपने जीवन में धर्म का पाथेय नहीं लेता, जीवन में ज्यादा पाप करता है, आचार-व्यवहार में झूठ, कपट, हिंसा आदि कृत्य करता है तो वह आदमी जीवन की समाप्ति के बाद उसे कठिनाई झेलनी पड़ सकती है। अहिंसा, संयम और तप धर्म है। धर्म को प्राप्त करने वाला श्रेय का साक्षात्कार कर सकता है।
जिसके जीवन में सम्यक् दर्शन है, सत्य से युक्त है, वह व्यक्ति धर्म की आराधना करता है तो वह भी श्रेय (कल्याण) को प्राप्त कर सकता है। आदमी को धर्म के प्रति निष्ठा रखने का प्रयास करना चाहिए। धर्म में आस्था रखने के साथ साधनाशीलता हो, सहिष्णुता हो तो आदमी का जीवन बहुत अच्छा हो सकता है। सहिष्णुता पारिवारिक जीवन के लिए भी अच्छा होता है। पारिवारिक जीवन में रहने के लिए सहना भी चाहिए तो कभी मौके पर कहना भी चाहिए।
बच्चों को अच्छे संस्कार देने का प्रयास होना चाहिए। जो बच्चे ज्ञानशाला से जुड़ जाते हैं, उन्हें धार्मिक ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार मिल सकते हैं। ज्ञानशाला में प्रशिक्षण देने वाले एक प्रकार की सेवा करते हैं। ज्ञानशाला के प्रशिक्षण देने वालों को तैयार करना भी एक सेवा का अच्छा कार्य है। छोटे बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाते हैं तो उनका भविष्य अच्छा हो सकता है। आदमी के व्यवहार व कर्म में भी धर्म रहे, यह काम्य है। आचार्यश्री ने इस चतुर्मास का अच्छा धार्मिक-आध्यात्मिक लाभ उठाने की भी प्रेरणा दी। साथ-साथ अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान के माध्यम से सभी लाभान्वित हों, ऐसा प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री के मंगल पाथेय के उपरान्त साध्वीप्रमुखाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा ‘मंत्र दीक्षा’ का उपक्रम भी समायोजित किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी आचार्यश्री के सम्मुख उपस्थित थे। आचार्यश्री ने उपस्थित तेरापंथ की नवीन पौध को नवकार मंत्र का जप कराते हुए संकल्प स्वीकार कराए। सम्मुख उपस्थित बाल पीढ़ी ने उसे अपने सुगुरु के साथ-साथ दोहराया तो एक अद्भुत दृश्य उपस्थित हो गया। बच्चों ने अपने आराध्य को विधिवत वंदन किया। मंत्र दीक्षा के राष्ट्रीय प्रभारी श्री अजीत छाजेड़ ने जानकारी प्रस्तुत की। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा युवादृष्टि का विशेषांक ‘आदिपुरुष’ आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के संदर्भ में आचार्यश्री के सम्मुख लोकार्पित की। युवादृष्टि के कार्यकारी संपादक श्री विपीन पितलिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। इस दौरान अहमदाबाद ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने बच्चों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। श्री अशोक पगारिया व श्री प्रदीप बागरेचा ने अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम- अहमदाबाद ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
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