आचार्य भिक्षु की 300वीं जयंती पर सरदारपुरा में त्रिदिवसीय भिक्षु चेतना कार्यक्रम संपन्न

सरदारपुरा, जोधपुर ।युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में त्रिदिवसीय भिक्षु चेतना कार्यक्रम का भव्य आयोजन सरदारपुरा में किया गया। यह कार्यक्रम तेरापंथ धर्मसंघ के प्रवर्तक आचार्य भिक्षुजी की 300वीं जन्म जयंती एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के पावन अवसर पर श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर साध्वीश्री रोशनीप्रभाजी ने आचार्य भिक्षुजी के प्रमोद भावन और सकारात्मक सोच पर प्रकाश डालते हुए उन्हें आत्मचेतना का पुंज बताया। साध्वीश्री शशिप्रज्ञाजी ने भावपूर्ण गीतिका प्रस्तुत की, जबकि साध्वी पुण्यदर्शनाजी ने प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से भिक्षुजी के सिद्धांतों की प्रभावशाली व्याख्या की।
शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने कहा कि “भिक्षु नाम में अपार शक्ति है, जिसका स्मरण मात्र ही समस्याओं को शांत करने का सामर्थ्य रखता है।” उन्होंने आचार्य भिक्षु द्वारा स्थापित अनुशासनिक परंपरा को आज के युग में भी उतनी ही प्रासंगिक बताया।
दूसरे दिन आषाढ़ सुदी चौदस को चातुर्मास प्रवेश दिवस एवं मर्यादा जागृति दिवस के रूप में मनाया गया। चौदस की हाजरी का वाचन कर साध्वी मंडल ने मर्यादा व अनुशासन के पालन का आह्वान किया।
तीसरे दिन आषाढ़ सुदी पूनम को तेरापंथ स्थापना दिवस के रूप में मनाते हुए साध्वी रोशनीप्रभाजी ने गीतिका द्वारा भावांजलि अर्पित की। साध्वी शशिप्रज्ञाजी ने कहा कि जिनकी गण और संघ के प्रति निष्ठा कमजोर होती है, वह जीवन में स्थायित्व नहीं प्राप्त कर पाते। साध्वी पुण्यदर्शनाजी ने भिक्षुजी के सूक्त वचनों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने समापन उद्बोधन में कहा कि “यह संपूर्ण आयोजन आचार्य भिक्षु की चेतना का प्रसाद है, जिसकी अनुशासनों की छाया में धर्मसंघ वटवृक्ष के समान विकसित हुआ है।”
कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ युवक परिषद् के मंगलाचरण से हुआ। संचालन नरेंद्र सेठिया एवं साध्वी रोशनीप्रभाजी ने किया। भाव गीतिका प्रस्तुत करने में सुरेश जीरावला, ममता तातेड़ व शालू तातेड़ ने सहभागिता निभाई।