मन की चंचलता को कम करने का हो प्रयास : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
गुजरात प्रदेश कांग्रेस महामंत्री के निवास स्थान में हुआ पूज्यप्रवर का प्रवास

-11 कि.मी. का विहार कर उम्मेदपुर की धरती को महातपस्वी ने किया पावन
-शांतिदूत के आह्वान पर ग्रामीणों ने स्वीकार की संकल्पत्रयी
28.05.2025, बुधवार, उम्मेदपुर, अरवल्ली।गुजरात के अरवल्ली जिले में गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए अब गुजरात की राजधानी अहमदाबाद की ओर अग्रसर हैं। आचार्यश्री महाश्रमणजी का वर्ष 2025 का चतुर्मास अहमदाबाद के कोबा में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में निर्धारित है। अरवल्ली जिले से अहमदाबाद की दूरी लगभग एक सौ दस किलोमीटर है। अहमदाबाद से बढती निकटता अहमदाबादवासियों के उत्साह को वृद्धिंगत करने वाला है।
बुधवार को प्रातःकाल सूर्योदय के बाद युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने खेराड़ी से मंगल प्रस्थान किया। विहार के दौरान दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री गंतव्य की ओर बढ़ते जा रहे थे। गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री श्री अरुण पटेल ने अनेक ग्रामीणों के साथ आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री का आज का प्रवास उन्हीं के निवास स्थान में निर्धारित था। लगभग 11 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री उम्मेदपुर में स्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री श्री अरुण पटेल के निवास स्थान में पधारे। परिवार से जुड़े लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।
मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित श्रद्धालु जनता को महातपस्वी, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी का मन बहुत चंचल होता है। मन को चंचल बनाने वाला तत्त्व अंदर में होता है। राग-द्वेष रूपी भाव मन को चंचल बना देते हैं और पापकारी प्रवृत्तियों की गति भी प्रदान करने वाला हो सकता है। दुनिया में सबसे बड़ा तत्त्व आकाश है और दुनिया में सबसे कठिन काम स्वयं की पहचान करना। आदमी के भीतर हर समय अनेकानेक विचार और चिंतन चलता ही रहता है। यह सभी मन की चंचलता ही है। आदमी उपासना, साधना करता है, तब भी उसके मन में अनेक विचार, चिंतन आने लगते हैं। इसलिए आदमी को अपने मन की चंचलता को कम करने का प्रयास करना चाहिए। उपासना, जप आदि करते समय ज्यादा-ज्यादा मन उसी में रमे, ऐसा प्रयास करना चाहिए। मन में चंचलता और मलीनता मानों एक समस्या के समान है। संवर-निर्जरा की साधना, संयम और तप की आराधना के द्वारा आदमी मन की चंचलता को कम करने और मन से होने वाले पापों से भी बचाव हो सकता है। इससे मन शांत रह सकता है।
मन की चंचलता को कम करने के लिए ध्यान, योग आदि का प्रयोग भी किया जाता है। ध्यान योग तो मानों इस समय वैश्विक स्तर पर व्यापक बना है। मन की चंचलता को कम करने के लिए शरीर को स्थिर करने का प्रयास करना चाहिए। शरीर की स्थिर होगा तो मन भी स्थिर रह सकता है। इसके अलावा जीवन में सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति की भावना रहे। जीवन में अहिंसा की चेतना को जगाने का प्रयास करना चाहिए।
मंगल प्रवचन के दौरान आचार्यश्री ने उम्मेदपुरवासियों ने सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो समुपस्थित ग्रामीणों ने सहर्ष तीनों प्रतिज्ञाओं को स्वीकार किया।
आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय कन्या मण्डल (पटेल परिवार की कन्याएं) ने गीत को प्रस्तुति दी। गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री श्री अरुण पटेल ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। श्री कनुभाई पटेल व श्री विशाल पटेल ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी। महासभा के पूर्व अध्यक्ष श्री किशनलाल डागलिया ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
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