पूर्व उपमहापौर डॉ. रवींद्र पाटिल के करकमलों से समर योग शिविर का शुभारंभ
गुजरात राज्य योग बोर्ड द्वारा आयोजित शिविर में पहले ही दिन 111 बच्चों की भागीदारी

सूरत।गुजरात राज्य योग बोर्ड, गुजरात सरकार द्वारा आयोजित समर योग शिविर का उद्घाटन आज पर्वत पाटिया स्थित कष्टभंजन हनुमानजी मंदिर (केंद्र क्रमांक 194, वार्ड सं. 18/19) में पूर्व उपमहापौर डॉ. रवींद्र सुखलाल पाटिल के करकमलों से संपन्न हुआ। यह शिविर 7 से 15 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए 16 से 30 मई तक आयोजित किया गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों के शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
शिविर की संचालनयोग कोच श्रीमती सुनीता शर्मा द्वारा किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह में डॉ. मंगला पाटिल, डॉ. पारुल जी, श्री महेश शर्मा, श्री नवीनभाई समेत योग शिक्षक और गणमान्यजन उपस्थित रहे। पहले दिन 111 बच्चों ने योगाभ्यास में भाग लिया। इस अवसर पर सभी बच्चों को पेन वितरित किए गए और नाश्ते की उत्तम व्यवस्था भी की गई।
अपने प्रेरणास्पद उद्बोधन में डॉ. रवींद्र पाटिल ने कहा, “योग केवल व्यायाम नहीं, एक जीवनशैली है जो आत्म-शुद्धि, अनुशासन और सकारात्मक सोच को जन्म देती है। बच्चों में ये गुण प्रारंभ से ही विकसित करना जरूरी है।” उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में शिविर में 200 से अधिक बच्चों की भागीदारी की संभावना है। शिविर के अंतिम दिन सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
शिविर के दौरान बच्चों द्वारा प्रस्तुत सुंदर योग प्रदर्शन ने उपस्थित अतिथियों और अभिभावकों को अत्यंत प्रभावित किया। डॉ. पाटिल ने योग को भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयत्नों से ही 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल द्वारा राज्यभर में योग बोर्ड की सक्रियता और विस्तार की प्रशंसा करते हुए इसे एक जन-आंदोलन का रूप देने का आह्वान किया।
विशेष जानकारी:
- शिविर का आयोजन 16 से 30 मई 2025 तक प्रतिदिन किया जाएगा।
- अंतिम दिन सभी बच्चों को प्रमाणपत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
- शिविर का उद्देश्य योग के माध्यम से बच्चों में संस्कार, स्वास्थ्य एवं अनुशासन का विकास करना है।