गुजरात की जीएसटी आवक अप्रैल 2025 में पहुँची 14,970 करोड़ रुपये : 13% की वार्षिक वृद्धि के साथ नया रिकॉर्ड

औद्योगिक अनुकूल नीति और आर्थिक गतिशीलता का प्रभाव, राष्ट्रीय औसत से भी अधिक रही वृद्धि दर
गांधीनगर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में विकास के पथ पर अग्रसर गुजरात ने एक बार फिर आर्थिक क्षेत्र में अपनी सशक्त स्थिति सिद्ध की है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में गुजरात की जीएसटी वसूली 14,970 करोड़ रुपये पर पहुँच गई है, जो अप्रैल 2024 की तुलना में 13% की वृद्धि दर्शाती है। यह राज्य की प्रगति, व्यापारिक अनुकूल नीतियों और मज़बूत आर्थिक गतिविधियों का स्पष्ट संकेत है।
यह उपलब्धि न केवल गुजरात की आर्थिक सुदृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में राज्य के योगदान को भी रेखांकित करती है। “विकसित गुजरात@2047” रोडमैप के अंतर्गत गुजरात प्रधानमंत्री के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए सशक्त क़दमों से आगे बढ़ रहा है।
देशभर में तीसरे स्थान पर गुजरात
अप्रैल 2025 में जीएसटी संग्रह के मामले में गुजरात देश में महाराष्ट्र (₹41,645 करोड़) और कर्नाटक (₹17,815 करोड़) के बाद तीसरे स्थान पर रहा। हालांकि यदि वृद्धि दर की बात की जाए, तो गुजरात का 13% ग्रोथ महाराष्ट्र (11%) से अधिक रहा।
वार्षिक आधार पर भी रहा शानदार प्रदर्शन
वित्तीय वर्ष 2024-25 में गुजरात ने अब तक ₹73,281 करोड़ की जीएसटी वसूली की है, जो पिछले वर्ष (₹64,133 करोड़) की तुलना में 14% अधिक है।
अन्य राज्यों से आगे रहा गुजरात
गुजरात ने जीएसटी संग्रहण में तमिलनाडु (₹13,831 करोड़), उत्तर प्रदेश (₹13,600 करोड़), हरियाणा (₹14,057 करोड़), पश्चिम बंगाल (₹8,188 करोड़), राजस्थान (₹6,228 करोड़), मध्यप्रदेश (₹5,302 करोड़), पंजाब (₹3,104 करोड़) और बिहार (₹2,290 करोड़) जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है।
राष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड संग्रह
भारत सरकार ने अप्रैल 2025 में ₹2,36,716 करोड़ की रिकॉर्ड जीएसटी आय प्राप्त की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.6% अधिक है। गुजरात की 13% वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक रही है।
जीएसटी संग्रहण बना अर्थव्यवस्था का संकेतक
जीएसटी वसूली अब देश की आर्थिक सेहत का महत्वपूर्ण संकेतक बन चुकी है। गुजरात की निरंतर प्रगति का श्रेय औद्योगिक विकास के अनुकूल नीतियों, “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” में सुधार, प्रभावी कर वसूली प्रणाली, और घरेलू उपभोग एवं उत्पादन में वृद्धि को जाता है।
इस रिकॉर्ड संग्रहण के माध्यम से गुजरात यह दर्शा रहा है कि वह “विकसित भारत” के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।