
कम ब्याज पर रुपये लेकर बाद में झूठी शिकायत दर्ज कराने वाले सूरत महानगर पालिका के एक कर्मचारी को कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। छह साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद आरोपित निर्दोष साबित हुआ। झूठी शिकायत के चलते उसे पासा (गुजरात का कानून – प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट) के तहत भी कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।
सगरामपुरा क्षेत्र के वर्धमान फ्लैट में रहने वाले किरण लक्ष्मणभाई बारैया साहूकारी का व्यवसाय करते हैं। सूरत महानगर पालिका में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हर्षिदाबेन किशनभाई सोलंकी ने किरण से तीन लाख रुपये साहूकारी ब्याज पर लिए थे। जब ब्याज के साथ राशि चुकाने की नौबत आई तो हर्षिदाबेन ने गलतफहमी का बहाना बनाकर अठवालाइन्स पुलिस स्टेशन में किरण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि वह जबरन ब्याज की वसूली कर रहे हैं। पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर किरण पर पासा भी लगा दिया।
इस मामले की सुनवाई सूरत की अदालत में चली, जहां किरण के वकील ने तर्क दिया कि हर्षिदाबेन ने स्वयं साहूकारी ब्याज पर पैसे लिए थे और इसके बदले में उन्होंने किरण को सुरक्षा के तौर पर चेक भी दिया था। लेकिन पैसे लौटाने से बचने के लिए उन्होंने झूठी शिकायत दर्ज कराई।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद किरण को निर्दोष करार दिया और मामले से बरी करने का आदेश दिया। छह साल तक झूठे आरोपों का सामना करने के बाद आखिरकार किरण को न्याय मिला।