
टेक्सटाइल उद्योग को अब सितंबर की बैठक में ऐतिहासिक निर्णय की उम्मीद है।
सूरत।देशभर के टेक्सटाइल उद्योग में इस समय सबसे ज्यादा चर्चा का विषय आगामी सितंबर 2025 में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में टेक्सटाइल उद्योग की पूरी वैल्यू चेन फाइबर से लेकर फैशन तक पर एक समान 12% जीएसटी स्लैब लागू करने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। वर्तमान में यार्न, रेडीमेड गारमेंट्स, प्रोसेसिंग, वीविंग आदि अलग-अलग सेगमेंट पर अलग-अलग दरों से जीएसटी वसूली के कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट से जुड़ी अनेक समस्याएं सामने आ रही हैं।
उद्योग से जुड़े लोगों के अनुसार कपड़ा और फुटवियर ऐसे दो प्रमुख सेक्टर हैं जहां इनवर्टेड टैक्स स्ट्रक्चर यानी उल्टा कर ढांचा लागू है। इसमें इनपुट पर ज्यादा और आउटपुट पर कम दर से कर लगने के कारण आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का बैलेंस जमा होता है और रिफंड की प्रक्रिया जटिल बनती है।
समान टैक्स दर से कई समस्याओं का समाधान संभव
टेक्सटाइल उद्योग में एक समान टैक्स स्ट्रक्चर लागू करने का उद्देश्य ड्यूटी इनवर्जन को समाप्त करना और कच्चे माल से लेकर तैयार वस्त्र तक टैक्स दरों को तार्किक बनाना है। इससे न केवल अनुपालन आसान होगा बल्कि रिफंड पर निर्भरता भी घटेगी और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के नाम से वायरल जानकारी के अनुसार, जीएसटी सुधारों के अगले चरण में टेक्सटाइल वैल्यू चेन पर समान 12% जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव सितंबर से पहले जीएसटी काउंसिल में रखा जा सकता है। यह प्रस्ताव ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की जीएसटी दरों के युक्तिकरण रिपोर्ट का हिस्सा होगा, जिसे केंद्र सरकार ने भी अपना समर्थन दिया है।
8 वर्षों से चल रही है समान टैक्स की मांग
सूरत सहित देशभर के टेक्सटाइल उद्योग लंबे समय से इनवर्टेड टैक्स स्ट्रक्चर को समाप्त कर एक समान टैक्स सिस्टम की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में कच्चे माल और तैयार वस्त्रों पर अलग-अलग दरें लागू होने से उद्योग में असंतुलन पैदा हुआ है।
गारमेंट्स पर मूल्य आधारित जीएसटी दर हटेगी
जानकारों के अनुसार प्रस्ताव में 2000 रुपये की सीमा को हटाकर सभी रेडीमेड वस्त्रों पर मूल्य से भिन्न, एक समान 12% फ्लैट दर लागू करने की सिफारिश की जा सकती है। इससे दरों का सरलीकरण होगा और अनुपालन में भी सहूलियत मिलेगी।
उद्योग को मिल सकती है राहत
विशेषकर सिंथेटिक सेगमेंट में इनवर्टेड स्ट्रक्चर के कारण निवेश प्रभावित हुआ है और निर्यात प्रतिस्पर्धा भी घटी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि समान दर लागू होती है तो इससे उत्पादन लागत स्थिर होगी, पूंजी निवेश बढ़ेगा और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा मजबूत होगी।