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भारतीय कपड़ा एवं परिधान उद्योग पर तिहरी नीति का संकट-CAIT

–अमेरिका, UK और GST दबाव से बढ़ी MSME और निर्यातकों की चिंता चम्पालाल बोथरा – राष्ट्रीय चेयरमैन, टेक्सटाइल एवं गारमेंट कमेटी (CAIT)

नई दिल्ली। भारत का कपड़ा एवं परिधान (गारमेंट) उद्योग, जो कि 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक निर्यात में योगदान देता है और 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है, इस समय अंतरराष्ट्रीय और घरेलू नीतियों के त्रिस्तरीय दबाव में आ गया है। हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय गारमेंट एवं टेक्सटाइल उत्पादों पर 25% तक टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की गई है, जिससे भारत के लिए अमेरिका में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा। वर्तमान में भारत के परिधान निर्यात का लगभग 35% अमेरिका को होता है और इस नई नीति के बाद 13% से 15% तक का अतिरिक्त टैक्स भार भारतीय निर्यातकों पर पड़ेगा, जो उद्योग की लागत और ऑर्डर दोनों पर प्रभाव डालेगा।

दूसरी ओर, भारत और यूके के बीच प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) में भारतीय कपड़ा निर्यातकों को सीमित लाभ मिल रहे हैं, जबकि यूके की ब्रांडेड कंपनियों को भारतीय बाजार में आसान प्रवेश मिलेगा। इससे घरेलू MSME और लघु उद्यमों पर दबाव बढ़ेगा और असंतुलन उत्पन्न होगा। तीसरा बड़ा संकट आगामी सितंबर 2025 की जीएसटी काउंसिल बैठक में प्रस्तावित 12% जीएसटी दर को लेकर है, जो कि वर्तमान 5% दर की तुलना में अधिक है। यदि यह लागू होती है, तो MSME यूनिट्स पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर और नकदी प्रवाह की समस्या बढ़ेगी, जिससे उत्पादन लागत बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा घटेगी और ऑर्डर कैंसलेशन जैसी स्थितियाँ सामने आ सकती हैं।

इस संबंध में टेक्सटाइल एंड गारमेंट कमेटी के राष्ट्रीय चेयरमैन श्री चम्पालाल बोथरा ने कहा कि “भारत का कपड़ा एवं परिधान उद्योग केवल उत्पादन या निर्यात तक सीमित नहीं है, यह देश की आर्थिक रीढ़ है और करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है। अमेरिका द्वारा टैरिफ वृद्धि, UK के FTA में असमानता और अब प्रस्तावित 12% जीएसटी दर – ये तीनों मिलकर छोटे उत्पादकों, निर्यातकों और MSME सेक्टर की कमर तोड़ सकते हैं। हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि वह अमेरिका और UK के साथ संतुलित व्यापार वार्ताएं करे और GST दर को यथावत 5% पर बनाए रखे।”

उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान परिस्थिति में टेक्सटाइल एमएसएमई यूनिट्स को राहत पैकेज, ब्याज छूट, सब्सिडी एवं निर्यात प्रोत्साहन (Export Incentive) जैसे ठोस कदमों की आवश्यकता है ताकि भारत बांग्लादेश, वियतनाम और चीन जैसे देशों की सस्ती और सब्सिडीयुक्त प्रतिस्पर्धा का सामना कर सके।

कमेटी की प्रमुख मांगें:

1. टेक्सटाइल और गारमेंट सेक्टर पर वर्तमान 5% जीएसटी दर को यथावत रखा जाए।

2. अमेरिका और यूके से संतुलित और उद्योगहितैषी व्यापार समझौते किए जाएं।

3. एमएसएमई टेक्सटाइल यूनिट्स के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित किया जाए।

4. निर्यातकों को सब्सिडी एवं इंसेंटिव स्कीम पुनः प्रभावी की जाए और अमेरिकी टैरिफ के मुकाबले समतुल्य इंसेंटिव बढ़ाया जाए।

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