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शिव महापुराण कथा में त्रिपुरासुर वध और शंखचूड़ वध का प्रसंग

 

श्री रामायण प्रचार मंडल, उधना-सूरत द्वारा आशानगर में आयोजित शिव महापुराण कथा के छठे दिन शुक्रवार को पंडित संदीप महाराज ने कथा का वाचन किया।

महाराज ने बताया कि तारकासुर के तीन पुत्र—तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली—ने ब्रह्माजी की तपस्या कर अमरता का वरदान मांगा। ब्रह्माजी ने अमरत्व देने से इनकार कर तीन नगरों का निर्माण करवाया—सोने का तारकाक्ष को, चांदी का कमलाक्ष को और लोहे का विद्युन्माली को। ये तीनों नगर ‘त्रिपुर’ कहलाए। इन त्रिपुरों से तीनों लोकों में उत्पात मच गया।

देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने त्रिपुरों का नाश कर दिया, जिससे वे ‘त्रिपुरारी’ नाम से प्रसिद्ध हुए। कथा में बताया गया कि शिवजी ने देवताओं को पशु भाव त्याग कर शिव भक्ति द्वारा ‘पशुपति’ नाम से मुक्ति का मार्ग दिखाया।

महाराज ने शंखचूड़ वध की कथा भी सुनाई। शंखचूड़ ने ब्रह्मा से अजर-अमरता का वर प्राप्त कर तुलसी से विवाह किया। उसने भी समस्त लोकों में उत्पात मचाया। अंततः भगवान विष्णु ने उसका रूप धारण कर तुलसी से छलपूर्वक रमण किया, जिससे उसका सतीत्व भंग हुआ और भगवान शिव ने उसका वध किया।

विष्णुजी ने तुलसी को गंडकी नदी बनने का आशीर्वाद दिया और वरदान दिया कि जो भी शालिग्राम, तुलसी और शंख की पूजा करेगा, वह वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होगा।

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