सरकार ने शिवशक्ति मार्केट के व्यापारियों को राहत पैकेज देने से किया इनकार
शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट अग्निकांड: 700 दुकानें राख,850 रुपये करोड़ का नुकसान

सूरत: गुजरात सरकार ने शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट में हुई भीषण आग से प्रभावित व्यापारियों को किसी भी तरह का राहत पैकेज देने से इनकार कर दिया है। 26 फरवरी को लगी इस भयावह आग ने 32 घंटे तक तांडव मचाया, जिससे 822 में से करीब 700 दुकानें जलकर राख हो गईं। अनुमानित नुकसान ₹850 करोड़ तक पहुंच गया है।
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. तुषार चौधरी ने इस मुद्दे को उठाते हुए प्रभावित व्यापारियों के लिए वित्तीय सहायता की मांग की। लेकिन सरकार ने लिखित जवाब में इसे खारिज कर दिया और ongoing जांच का हवाला दिया।
डॉ. चौधरी ने सवाल किया, “सरकार सूरत के शिवशक्ति मार्केट अग्निकांड पर चर्चा से क्यों बच रही है? विधानसभा में यह कहकर चर्चा टाल दी गई कि जांच जारी है। लेकिन उन व्यापारियों का क्या होगा जिनका सबकुछ खत्म हो गया?”
भयावह त्रासदी, लेकिन कोई मदद नहीं
शिवशक्ति मार्केट में लगी आग को सूरत के सबसे बड़े व्यावसायिक हादसों में से एक माना जा रहा है। यह 2019 के तक्षशिला अग्निकांड की याद दिलाता है, जिसमें 22 छात्रों की जान गई थी। उस समय सरकार ने कड़े फायर सेफ्टी नियम लागू करने का वादा किया था, लेकिन व्यापारी और नागरिक अब सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठा रहे हैं।
इस भयावह हादसे में एक व्यापारी अधिकारियों से गुहार लगाते नजर आए कि उन्हें अपनी दुकान में रखे ₹20 करोड़ निकालने दिए जाएं। यह पैसा कई व्यापारियों का था, जो उनके अस्तित्व के लिए जरूरी था। लेकिन प्रशासनिक नियमों के चलते उन्हें कुछ भी निकालने की अनुमति नहीं दी गई और वे अपनी मेहनत की कमाई को आग की लपटों में जलते देखते रहे।
व्यापारियों की हालत बदतर, सरकार ने साधी चुप्पी
शिवशक्ति मार्केट सूरत के टेक्सटाइल उद्योग का एक प्रमुख केंद्र था। यहां 500 दुकानें साड़ियों और अन्य कपड़ों का व्यापार करती थीं, जबकि 300 दुकानें पैकेजिंग व्यवसाय से जुड़ी थीं। आग ने न सिर्फ करोड़ों का माल स्वाहा कर दिया, बल्कि महत्वपूर्ण व्यापारिक दस्तावेज भी नष्ट हो गए, जिससे व्यापारियों के लिए वापसी और कठिन हो गई है।
इसके बावजूद, गुजरात सरकार ने आर्थिक मदद देने से इनकार कर दिया है, जिससे हजारों व्यापारी संकट में आ गए हैं। व्यापारी सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं, क्योंकि वे राज्य को भारी टैक्स देते हैं और सूरत का आर्थिक महत्व गुजरात के लिए बहुत बड़ा है।
फायर सेफ्टी को लेकर सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर सूरत के व्यावसायिक परिसरों में फायर सेफ्टी की अनदेखी को उजागर कर दिया है। व्यापारियों का कहना है कि शिवशक्ति मार्केट सहित अन्य व्यावसायिक स्थलों पर अग्नि सुरक्षा को लेकर कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। अब व्यापारियों ने आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए फायर सेफ्टी नियमों को सख्ती से लागू करने की मांग की है।
एक व्यापारी, जिसने अपनी पूरी दुकान खो दी, ने आक्रोश जताते हुए कहा, “सरकार इस संकट को अनदेखा नहीं कर सकती। हमें फिर से खड़े होने के लिए मदद चाहिए और प्रशासन को बाजारों में फायर सेफ्टी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी।”